शीतकालीन अवकाश में बच्चे ले रहे खेल खेल मे शिक्षा ..........................

बच्चे परिवार के सदस्यों के साथ मिल कर कर रहे गृहकार्य, अनुभव आधारित एक्सपीरियंस लर्निंग पर दिया जा रहा जोर :- राजेश वशिष्ठ

शीतकालीन अवकाश में बच्चे ले रहे खेल खेल मे शिक्षा ..........................

शीतकालीन अवकाश में बच्चे ले रहे खेल खेल मे शिक्षा ..........................

  बच्चे परिवार के सदस्यों के साथ मिल कर कर रहे गृहकार्य, अनुभव आधारित एक्सपीरियंस लर्निंग पर दिया जा रहा जोर :- राजेश वशिष्ठ 

जींद :- एक जनवरी से 15 जनवरी तक होने वाले शीतकालीन अवकाश में निपुण कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा की अनुपालना में बदलाव किया गया है। लेखन तथा रटने की प्रवृत्ति की अपेक्षा अनुभव आधारित एक्सपीरियंस लर्निंग पर बल दिया गया है। यह होमवर्क परिवार के सदस्यों के साथ मिल कर किया जाना है। जिसमें नाना-नानी, दादा-दादी एवं बड़े सदस्य मेंटर की भूमिका निभा रहे हैं। वह अपने अनुभवों के साथ नई पीढ़ी को संस्कार मार्गदर्शन, दक्षता, कौशल, व्यवहार व कुशलता प्रदान करेंगे। हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद ने इसके लिए जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, खंड संसाधन समन्वयक व स्कूल प्रभारियों को पत्र जारी किया है। परिषद का मानना है कि यह सभी गतिविधियां जहां विद्यार्थी को पढऩे-लिखने व गणना जैसे कौशल देगी, वहीं उन्हें आंकलन, अनुमान लगाना, विश्लेषण, एकीकरण, कहानी कहना, प्रस्ताव बनाना, देखना और समझना व वार्तालाप व्यवहार सिखाएगी। वहीं विद्यार्थी के शब्दकोश का विस्तार करेगाद्ध जिसमें अपनी मातृभाषा में गीत, लोकगीत, पहेलियां, कहानियां, वृतांत किस्से तथा विचार, रिवाज, परिवार के सदस्यों की पिछली पीढिय़ों की जानकारी, परंपरा, भोजन एवं व्यंजन से संबंधित जानकारी प्राप्त करेंगे। परिवार के सदस्यों से जोड़ कर बनाई गई यह गतिविधियां विद्यार्थियों को मोबाइल तथा टेलीविजन से दूर करके अनुभव करने का अवसर भी प्रदान करेंगी तथा परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के साथ लगाव एवं जुड़ाव का वातावरण बनाने में सहायक होगी।
शीतकालीन अवकाश के दौरान यह करवाई जाएंगी गतीविधियां...............
                  हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद ने पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं कि शीतकालीन अवकाश के दौरान अभिभावक अपने बच्चों को सुबह जल्दी उठने की आदत डालिए तथा मेडिटशेन, ध्यान लगाने का प्रशिक्षण दीजिए। सामाजिक एवं धार्मिक आयोजनों में बच्चों को अवश्य शामिल करवाएं। अपने बच्चे में पौधे लगाने और उनका ख्याल रखने की आदत का विकास कीजिए। सोने के समय अपने बच्चों को पंचतत्र, तेनालीराम आदि की शिक्षाप्रद कहानी सुनाइए। इसके अतिरिक्त साहित्यिक व धार्मिक कथाएं और कहानियां भी सुनाएं। अपने बच्चे की प्रतिभा का पता लगाइए और उसे इसे निखारने में उसकी सहायता कीजिए। वह किसी भी विषय जैसे संगीत खेल अभिनय व नृत्य आदि में दिलचस्पी रख सकता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए कचरा प्रबंधन के बारे में जानकारी दें। उन्हें अनुशासन के साथ-साथ सही और गलत का अंतर समझाएं। उनमें स्वय पढऩे और सीखने की आदत डालिए। अभिभावक अपने बच्चों को मोबाइल से दूर रखें। आवश्यक होने पर अपनी देखरेख में ही मोबाइल का उपयोग करने दिया जाए। इसके अलावा कमरे की सफाई, बिस्तर को समेटना, पालतू पशुओं की देखरेख तथा पारिवारिक व्यवसाय का कार्य अपनी देखरेख में करवाएं।
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               जिला कोऑर्डिनेटर एफएलएन राजेश वशिष्ठ ने बताया कि एक जनवरी से लेकर 15 जनवरी तक विद्यार्थियों के शीतकालीन अवकाश रहेंगे। इस दौरान विद्यार्थियों के लिए जो होमवर्क दिया गया है, वह उन्हें मोबाइल से दूर रखने व रटने की प्रवृत्ति से दूर रखेगा। इसमें विद्यार्थियों के अभिभावकों की बड़ी भूमिका रहेगी। ऐसे में अभिभावक छुट्टियों के दौरान मेंटर की भूमिका में रहेंगे जो उनका मार्गदर्शन करेंगे।
               :- राजेश वशिष्ठ जिला कोऑर्डिनेटर एफएलएन

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