जे.आर.सी. कैम्प के चौथे दिन बच्चों ने सीखी प्राथमिक उपचार की बारीकियाँ,
पेंटिंग के माध्यम से दी सामाजिक संदेशों की प्रस्तुति:- राजेश वशिष्ठ
जींद :- जिला रेड क्रॉस सोसाइटी के तत्वावधान में व शिक्षा विभाग के सहयोग से चल रहे जूनियर रेड क्रॉस (जे.आर.सी.) प्रशिक्षण शिविर के चौथे दिन की शुरुआत रेड क्रॉस प्रार्थना के साथ हुई। प्रशिक्षुओं ने सामूहिक रूप से प्रार्थना कर मानवता, सेवा और सहयोग की भावना को दोहराया।
प्रथम सत्र में प्रशिक्षकों ने बच्चों को प्राथमिक उपचार से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी। विशेष रूप से तिकोनी पट्टी के प्रयोग की विधि का प्रदर्शन किया गया। बताया गया कि चोट लगने पर तिकोनी पट्टी किस प्रकार उपयोगी होती है, शरीर में कुल कितनी हड्डियाँ होती हैं, और हड्डी टूटने की स्थिति में प्राथमिक उपचार के रूप में क्या कदम उठाने चाहिए। बच्चों ने इस सत्र में अत्यंत रुचि दिखाई और स्वयं भी पट्टी बाँधने का अभ्यास किया। मास्टर ट्रेनर ममता शर्मा ने बच्चों को मोबाइल फोन के लाभ और हानि के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि मोबाइल एक उपयोगी साधन है, लेकिन इसका अत्यधिक प्रयोग बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने प्रेरक उदाहरणों के माध्यम से बच्चों को मोबाइल का संतुलित उपयोग करने की सलाह दी। जिला संगठन आयुक्त राजेश वशिष्ठ ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। उनका उद्देश्य है कि इन प्रतिभाशाली बच्चों को मंच प्रदान कर समाज में आगे लाया जाए। उन्होंने कहा कि जे.आर.सी. जैसे प्रशिक्षण शिविर बच्चों में सेवा, अनुशासन और नेतृत्व की भावना विकसित करते हैं। दिन के दूसरे सत्र में बच्चों ने रक्तदान, पर्यावरण संरक्षण, जल बचाव, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, पौधारोपण जैसे सामाजिक विषयों पर सुंदर पेंटिंग्स बनाईं। इन पेंटिंग्स के माध्यम से बच्चों ने समाज को जागरूक करने का संदेश दिया।
बच्चों को स्किल डेवलपमेंट की जानकारी देने के लिए माइंड क्यू सेंटर से सुखबीर और दीक्षा ने विशेष सत्र लिया। उन्होंने बच्चों को विभिन्न जीवन कौशलों के बारे में बताया और उन्हें जिज्ञासु बनने के लिए प्रेरित किया। बच्चों ने इस सत्र को अत्यंत उपयोगी बताया और कहा कि यह जानकारी उनके भविष्य के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगी। रेड क्रॉस सचिव रवि हुड्डा ने कहा कि प्रतियोगिताएँ बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे शिविर बच्चों में आत्मविश्वास, सहयोग और सेवा की भावना को मजबूत करते हैं, जिससे वे अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।
दिनभर चले प्रशिक्षण और गतिविधियों के बाद बच्चों में उत्साह और आत्मविश्वास स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। चौथे दिन का यह सत्र बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायक और जीवनोपयोगी सिद्ध हुआ।

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