होलिका दहन और महत्व

अपने अंदर कि बुराइयों का भी दहन करना जरूरी :-रमेश चन्द्र शर्मा

होलिका दहन और महत्व
होलिका दहन और महत्व

होलिका दहन और इसका महत्व .................
जींद :-देशभर में आज होलिका दहन का त्योहार मनाया जा रहा है ।इस दिन रात को होलिका जलाई जाती है, होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता।पहला कदम फाउंडेशन के संरक्षक रमेश चन्द्र शर्मा ने होलिका दहन और पूजा कि जानकारी देते हुए बताया कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है ।कहते हैं कि होलिका दहन के साथ-साथ आग में व्यक्ति अपनी सारी बुराईयां, सारी दुश्मनी को जला देता है और अपने अंदर एक नए उत्साह और जीत को पैदा करता है ।धार्मिक मान्यता है कि होलिका दहन की पूजा पूरे विधि विधान से की जाए तो न केवल सारी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं बल्कि सभी कष्टों का निवारण भी हो जाता है ।कहते हैं कोई भी पूजा कथा और आरती के बिना अधूरी होती है ऐसे में भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार और प्रहलाद से जुड़ी कथा होलिका दहन के दिन यदि सुनाई जाए तो बहुत ही शुभ माना जाता है।हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का अनंत भक्त था, राक्षस राज हिरण्यकश्यप चाहता था कि उसका पुत्र भगवान विष्णु की भक्ति को छोड़कर उसकी भक्ति करें लेकिन भक्त प्रहलाद हर वक्त भगवान विष्णु की भक्ति में डूबा रहता था , इस बात से परेशान होकर हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने का निर्णय लिया और इसी के लिए तरह-तरह की यातनाएं देनी शुरू कर दीं. जब उन यातनाओ से भी भक्त प्रहलाद का कुछ नहीं हुआ तो अपनी बहन होलिका की मदद से भक्त प्रहलाद को जलाने की योजना बनाई।अंत में होलिका जल गयी और प्रहलाद बच गया।बुराई का विनाश हुआ और अच्छाई जीत गयी ।

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