क्लास रेडीनेस प्रोग्राम से बढ़ा बच्चों का हौंसला
स्वयं करके सीखने की प्रवृति को मिला बढ़ावा - राजेश वशिष्ठ
जींद - नई राष्ट्रीय शिक्षण निति के शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को खेल खेल में प्रभावशाली शिक्षण गतिविधियों के माध्यम से 42 दिवसीय क्लास रेडीनेस प्रोग्राम कक्षा बालवाटिका से पांचवी के बच्चों के लिए समय सारिणी सहित सभी शिक्षकों को दिया गया है जो 23 मई तक चलेगा । इस दौरान सभी शिक्षक बाल वाटिका से पाँचवी कक्षा के बच्चों को विभिन्न गतिविधि आधारित भाषा और अंक दक्षता के बारे में जानकारी देंगे । बच्चे शिक्षकों के नेतृत्व में रोजाना खेल खेल में कविता गान, कहानी सुनाकर पढ़ाया जाएगा। इसके साथ बच्चों को मिट्टी तथा रेत पर उंगलियों से आकृति बनाकर बच्चों को प्रशिक्षित करेंगे। इसके साथ बच्चों को रस्सी कूदना भी सिखाया जाएगा। विद्यालय में बच्चों से सीखी गई गतिविधियों के बारे में पूछा जाएगा। कार्यक्रम के अंतिम सप्ताह में अभिभावकों की बैठक लेकर उन्हें बच्चों की प्रगति की जानकारी दी जाएगी। जिला समन्वयक एफ एल एन राजेश वशिष्ठ ने अलग अलग विद्यालयों मे जाकर क्लास रेडिनेस प्रोग्राम की गतिविधियों को अवलोकन किया और बताया कि बच्चों मे उत्सुकता व कुछ अलग करने का जज्बा ओर जुनून दिखाई दिया ।जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी डॉ सुभाष चंद्र ने क्लास रेडिनेस प्रोग्राम के महत्व को बताते हुए कहा कि इस प्रकार कि महत्वपूर्ण शिक्षण गतिविधियों के आयोजन से बच्चों की प्रतिभा मे विकास हुआ ।उन्होंने बताया की इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पहली कक्षा में आने से पहले उनके बुनियादी कौशल विकसित करना और उन्हें स्कूल के वातावरण में सहज बनाना है । क्लास रेडीनेस प्रोग्राम कार्यक्रम बच्चों में साक्षरता (पढ़ने और लिखने की क्षमता), गणित (संख्याओं और गणना की समझ), सामाजिक-भावनात्मक कौशल का विकास करता है ।यह कार्यक्रम बच्चों को खेल-खेल में सीखने के तरीके सिखाता है ताकि वे स्कूल के माहौल से सहज हो सकें और किसी भी तरह का डर या संकोच न हो । जिला समन्वयक एफ एल एन राजेश वशिष्ठ ने बताया की क्लास रेडिनेस प्रोग्राम के अवलोकन के लिए सभी एबीआरसी, बीआरपी,सीआरसी, खंड शिक्षा अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है कि वे अपने खंड के सभी कलस्टर के सभी प्राथमिक विद्यालयों का अवलोकन करे कि शिक्षक विभाग द्वारा दी गयी समय सारिणी अनुसार सी आर पी कार्यक्रम को सही ढंग से करवा रहे है क्या । उन्होंने बताया कि बाल वाटिका से पाँचवी के बच्चे विभिन्न गतिविधि आधारित भाषा और अंक दक्षता के बारे में जानकारी लेंगे।
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बाल मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से 80 प्रतिशत दिमाग का विकास छह वर्ष की आयु तक हो जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों का सीखने का आधार विकसित करना बहुत जरूरी है।बच्चों को विभागीय समय सारिणी द्वारा निर्धारित समय मे अलग अलग गतिविधियों से सीखाने का कार्य करवाया जाएगा जिसका उद्देश बच्चों को समझ के साथ पढ़ना आना है । इसमें अभिभावकों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।
राजेश वशिष्ठ , जिला समन्वयक एफ एल एन
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