पहला कदम फाउंडेशन ने चलाया रोड़ सेफ्टी कार्यक्रम

हेलमेट पहनना और गति सीमा पर अंकुश रखना जरूरी :-सुरेन्द्र

पहला कदम फाउंडेशन ने चलाया रोड़ सेफ्टी कार्यक्रम
पहला कदम फाउंडेशन ने चलाया रोड़ सेफ्टी कार्यक्रम

पहला कदम फाउंडेशन ने चलाया रोड़ सेफ्टी कार्यक्रम 
हेलमेट पहनना और गति सीमा पर अंकुश रखना जरूरी :-सुरेन्द्र 
जींद :-ड्राइविंग या वाहन का उपयोग करते समय प्रत्येक व्यक्ति को नियमों का पालन करना चाहिए। इन दिनों युवाओं के बीच बाइक क्रेज बढ़ रहा है इसलिए उन्हें नियमों का पालन करना चाहिए जैसे । कार का उपयोग करते समय हमें सीट बेल्ट का इस्तेमाल करना चाहिए और गति सीमा का पालन करना चाहिए।ये शब्द आज पहला कदम फाउंडेशन द्वारा जिला मुख्यालय पर आयोजित कायक्रम में गृह मंत्रालय भारत सरकार से सुरेन्द्र कुमार ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए कहे,उन्होंने पहला कदम फाउंडेशन के इस सराहनीय कार्य कि प्रशंसा करते हुए बताया कि आज सडक पर जरूरी बन जाता है कि हम अपनी सुरक्षा के साथ साथ ओरों कि सुरक्षा का भी ख्याल रखे।कार्यक्रम की अध्यक्षता पहला कदम फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश वशिष्ठ ने की उन्होंने बताया कि संस्था पिछले चार  वर्षों से रोड़ सेफ्टी कार्यक्रमों से लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रही है तथा साथ ही अपनी तरफ से हेलमेट देकर दो पहिया वाहन पर हेलमेट पहनने को भी प्रेरित करने का कार्य कर रही है । उन्होंने बताया कि एक बहुत अच्छी कहावत है, "सॉरी से ज्यादा अच्छा सुरक्षित रहना है"। हालांकि हम सब इस चीज़ को भूल जाते हैं और कई बार लापरवाह हो जाते हैं जिससे हम अपने जीवन को खतरे में डालते हैं।सभी लोगों को विशेष रूप से पैदल चलने वालों लोगों को सडक़ पर चलने के दौरान सतर्क रहना चाहिए और सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए। पैदल यात्री ही है जो सड़क दुर्घटना के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है क्योंकि ऐसा तब होता है जब वह लापरवाही से यातायात सिग्नल पर ध्यान नहीं देता या सावधानी से क्रॉसवाक पर नहीं चलता है जिससे चोट लगने के मामले बढ़ जाते हैं। हमेशा सडक़ पर चलने के लिए ज़ेब्रा क्रॉसिंग का उपयोग करें और अपनी आँखों और कानों को खोलें ताकि चारों ओर से आती आवाज सुन सकें।जिला युवा अध्यक्ष सोमबीर ने बताया कि यदि आप सडक़ पर साइकिल चला रहे हैं तो और भी सावधान रहें और सुनिश्चित करें कि आपकी साइकिल में रोशनी का यंत्र हो और उसके ब्रेक अच्छी स्थिति में काम कर रहे हो। दूसरा व्यस्त सडक़ पर साइकिल चलाने से बचें और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की कोशिश करें।माता-पिता की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे उन पर नजर रखे और उन्हें सुरक्षा नियमों के महत्व का एहसास कराएँ। कभी-कभी वाहन खराब हो जाता है और कई महीनों तक उसे चलाया नहीं जाता या उसके ब्रेक या क्लच काम नहीं करते हैं जिससे सडक़ दुर्घटना होती है। इसके अलावा सडक़ की सतहें और गड्ढे खराब सडक़ की स्थिति में योगदान करते हैं और सडक़ दुर्घटनाओं में इजाफ़ा करते हैं।जिला महिला अश्य्क्ष संतरों व जिला महिला सचिव उषा गुप्ता ने बताया कि सीट बेल्ट्स और हेलमेट्स का उपयोग ना करना भी ऐसे मामलों में योगदान देता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दोपहिया और ट्रक ही है जो हमारे देश में करीब 40त्न मौतों का कारण बनते हैं। भारत में दुनिया के विकसित देशों की तुलना में सडक़ दुर्घटनाओं के मामले तीन गुना अधिक हैं। इसलिए सडक़ दुर्घटनाओं की वजह से मृत्यु दर को रोकने के लिए एकमात्र तरीका सुरक्षा के नियमों का पालन करना है। जो लोग गाड़ी चला रहे हैं उनके वाहन की गति सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए ताकि जरूरत पड़े तो वाहन को समय पर रोका जा सके या सड़क किनारे किसी चीज़ को देख सके।इस अवसर पर संस्था की ओर से हेलमेट वितरित किये ।

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